रविवार, 1 दिसंबर 2013

स्मृति की उड़ान स्मृति सी


आकाश था अपने नीले के पड़ौस में व्यापे सफेद में 
जिसमे स्मृति की उड़ान स्मृति सी 

कोई पदचाप थी बाद में सीढियों पर जो नीद में सपनों की चट्टानों पर चिड़िया की चीख सी आकाश की छाती को बींधती 

इस दृश्य में मैंने पुकारा एक नाम 

एक नाम 

ठिठुरता कोई आया और उस पुकार को अपने सीने से लगाता 
जैसे बुहारता चला गया 

एक नाम 
आकाश है 

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