बुधवार, 16 अप्रैल 2014

हरी पत्ती है जिसमे हमारा चेहरा पीला पड़ता

लिखी जाती
विस्मरण में
गुम
पंक्तियाँ

जो लिखा जाना था
नही लिख पाए
कभी

अनुपस्थित का
सूना
हाहाकार

कोई आईना नही
हरी
पत्ती है
जिसमे हमारा चेहरा
पीला पड़ता

निरंतर हूक में सनी
पक्षी की
आवाज

जिसकी छाया नही

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