गुरुवार, 27 जून 2013

वह क्या था वह कौन था यह पूछता मैंने पाया कि मैं क्या था मैं कौन था

जहां तुमने पिछले जन्म में मुझे जिस पेड़ के नीचे खड़ा कर कहा कि कहीं जाना मत अभी आता हूँ
मैंने  इस जन्म में पाया वहां तो पेड़ था ही नही और तुम कौन थे.
अब मैं किसी ऐसे पेड़ को ढूंढ रहा हूँ जिसे अपने साथ चलने का कहूं
मेरी छाया  उस पेड़ सी गायब है .

कंठ में जड़ें उलझती आँखों से प्रवाहित है .

वह क्या था वह कौन था यह पूछता मैंने पाया कि मैं  क्या था मैं  कौन था

उदास प्रथम तारा रात के कच्चे सीने पर पहला नमकीन आंसू गिराता है तो सूरज की  लौ बुझ जाती है .
समन्दर में उसका स्याह चेहरा यूं डूबता है कि समन्दर भाप बन उड़ने लगता है .
उस भाप में कोई हाथ यूं पसरता है जैसे गए प्राण लौट आयेंगे .

प्रतीक्षा वह  शब्द है जो प्रतीक्षा में हर जन्म मे…मरण  में यूं विलीन होता है कि फिर प्रतीक्षा की उम्र कैद में सर फोड़ता हे.
अंधे बिल में अजन्मे शिशु की पसली टूटती है तो ईश्वर की हिचकी में गर्दन गिरे पेड़ सी लटक जाती है 

2 टिप्‍पणियां:

  1. कंठ में जड़ें उलझती आँखों से प्रवाहित है .

    वह क्या था वह कौन था यह पूछता मैंने पाया कि मैं क्या था मैं कौन था
    .........umda .....

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  2. उदास प्रथम तारा रात के कच्चे सीने पर पहला नमकीन आंसू गिराता है तो सूरज की लौ बुझ जाती है

    beautiful ..

    blog dekhkar accha lag raha hai . ab saari rachnayen ek jagah padhi jaa sakengi .

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