आकाश नीला था शायद कि मेरी चादर जिस पर मै कोई शव था नीद में .
खाट पर पिता के पैर बाहर ही निकले रहते जैसे ज़रा ज़रा सपने जिन्हें माँ अपने झीने ओढने से ढक देती .
एक दिन पिता की खाट की जगह माँ लेटी तो पिता ने उसके गोरे…गुलाबी चेहरे को देखते कुछ कहा जिसे ठंडे आँगन पर पड़ी ठंडी देह ने सुना और उसी आवाज में कुछ दिन के विलम्ब का संदेश रवाना कर दिया था जिसे पिता ने सुना और माँ की अर्थी को कंधा देने लगे- जिनके पीछे मैं था उनकी छाया में घुलता .
आँगन खुद क्या शव है
आकाश खुद क्या
अग्नि खुद क्या
जल खुद क्या
छाया खुद क्या
प्रश्न खुद क्या
सपने खुद क्या
आवाज खुद क्या
शव
मृत्यु
जीवन
आवागमन
इन सींखचों में कोई बदहवास घूमता सर पटकता लहूलुहान होता ईश्वर को हंसाता है उसकी हंसी में उसकी दरकती छाया सूने विलाप में एक सबसे नन्हे लगभग अदृश्य से जीव पर सवार हो सांस लेती है, जिसकी कोई छाया नही .
घर में अभी सीढीयों पर लाखो चींटियाँ मरी पड़ी है जिन्हें पिता रोज आटे ...मिश्री ...पताशे का भोग देते थे .अभी पिता और माँ मुझे इस शब्दों को छूते देख सोचते होंगे कि ये शब्द नही मरी चींटियाँ है .
में उनके सपनों की इबारत मरी चींटियों से लिखता हूँ
खाट पर पिता के पैर बाहर ही निकले रहते जैसे ज़रा ज़रा सपने जिन्हें माँ अपने झीने ओढने से ढक देती .
एक दिन पिता की खाट की जगह माँ लेटी तो पिता ने उसके गोरे…गुलाबी चेहरे को देखते कुछ कहा जिसे ठंडे आँगन पर पड़ी ठंडी देह ने सुना और उसी आवाज में कुछ दिन के विलम्ब का संदेश रवाना कर दिया था जिसे पिता ने सुना और माँ की अर्थी को कंधा देने लगे- जिनके पीछे मैं था उनकी छाया में घुलता .
आँगन खुद क्या शव है
आकाश खुद क्या
अग्नि खुद क्या
जल खुद क्या
छाया खुद क्या
प्रश्न खुद क्या
सपने खुद क्या
आवाज खुद क्या
शव
मृत्यु
जीवन
आवागमन
इन सींखचों में कोई बदहवास घूमता सर पटकता लहूलुहान होता ईश्वर को हंसाता है उसकी हंसी में उसकी दरकती छाया सूने विलाप में एक सबसे नन्हे लगभग अदृश्य से जीव पर सवार हो सांस लेती है, जिसकी कोई छाया नही .
घर में अभी सीढीयों पर लाखो चींटियाँ मरी पड़ी है जिन्हें पिता रोज आटे ...मिश्री ...पताशे का भोग देते थे .अभी पिता और माँ मुझे इस शब्दों को छूते देख सोचते होंगे कि ये शब्द नही मरी चींटियाँ है .
में उनके सपनों की इबारत मरी चींटियों से लिखता हूँ
Wah !
जवाब देंहटाएंकोटान कोट नमन ....
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंशब्दों का अद्भुत् संयोजन...incredible
हाँ, इसमें कविता है।
जवाब देंहटाएं( जिन पंक्तियों को गद्य के क्रम में रखा है,
उन्हें कविता के क्रम में रख दें तो कोई हर्ज नहीं होगा। )
dard sach mein rongte mein bahne laga..
जवाब देंहटाएंइन शब्दों से दुःख झर रहा है...
जवाब देंहटाएंnamaskaar
जवाब देंहटाएंek dum adbhut kavitaae , sadhuwaad
saadar
इन सींखचों में कोई बदहवास घूमता सर पटकता लहूलुहान होता ईश्वर को हंसाता है उसकी हंसी में उसकी दरकती छाया सूने विलाप में एक सबसे नन्हे लगभग अदृश्य से जीव पर सवार हो सांस लेती है, जिसकी कोई छाया नही .
जवाब देंहटाएं...............
शब्द नही मरी चींटियाँ है ये ...... उफ्फ्फ ....रेखा के आर या पार ....