शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

मन्त्रमुग्धा

बरसों बाद
देखी देह
निर्वसन

मछली -सी
बल खाती
अपने में

मन्त्रमुग्धा

बरसो बाद
देखी देह
उसने भी
निर्वसन

कांटे-सी
तीखी
बींधती

बीच में था जल
ठहरा

पिरोई जा रही थी
जिसमे
आवा-जाही

जीवन
मृत्यु
की 

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