आईने के आजू बाजू
अन्धेरा जो है
उसे
छेड़ो मत
वह किन्ही चेहरों का
छूटा स्मरण है
और जो दीखता है
वह
दीखने का
सूना आवाहन
तुम जहां हो
वहीं धंसे रहो
वहीं से आईने का झरना
फूट पडेगा
अभी अभी एक छाया गुजरी
बीचोबीच कटी
रक्त के धब्बे कवि के चेहरे पर गिरे
जब सब सो जायेंगे बिस्तरों
कब्रों में
एक कवि
स्याह आसमान में
किन्ही पलको को चूमेगा
और
उसके चेहरे पर आंसुओं की जगह
हो सकती है
किरचें
ठंडी और तीखी
और जो दीखता है
जवाब देंहटाएंवह
दीखने का
सूना आवाहन
वाह ....