हथेली पर किसी की
रेखाओं पर
पीपल का पत्ता
जिस पर एक बूँद
ठिठकी
चाँद उसी में
उगना था
रात किसी के तकिये पर
था उसे जागना
रात ही किसी की देह पर
चहल कदमी
थी होनी
किन्ही हथेलियों पर
रखी जानी थी
अज्ञात अदृश्य
हथेलियाँ
जिन्हें फिर
अपने अपने चेहरों
पर रख लेनी थी
तलवार की धार पर सपनो को
था आना
रेखाओं पर
पीपल का पत्ता
जिस पर एक बूँद
ठिठकी
चाँद उसी में
उगना था
रात किसी के तकिये पर
था उसे जागना
रात ही किसी की देह पर
चहल कदमी
थी होनी
किन्ही हथेलियों पर
रखी जानी थी
अज्ञात अदृश्य
हथेलियाँ
जिन्हें फिर
अपने अपने चेहरों
पर रख लेनी थी
तलवार की धार पर सपनो को
था आना
किन्ही हथेलियों पर
जवाब देंहटाएंरखी जानी थी
अज्ञात अदृश्य
हथेलियाँ
जिन्हें फिर
अपने अपने चेहरों
पर रख लेनी थी
तलवार की धार पर सपनो को
था आना
खूबसूरत .....अनुपम सौंदर्य से सराबोर .....आकाश के असीम पर अमावस के बाद जैसे पूर्णिमा का पदार्पण ....