सोमवार, 22 जुलाई 2013

बिस्तर पर किसी के डूब मरने की छपाक

आईने को देखता
देखता हूँ
उस से लिपट गया

मेरा मौन
झील सा नही
चट्टान सा
हो

जिसमे मैं
जीवाश्म सा
पाया
जाऊँ

अभी तुम्हारे
द्वार पर मेरी छाया
ताजा टूटे
पत्ते सी

और बिस्तर पर किसी के डूब मरने की छपाक


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